Saturday, November 22, 2014

Diwali - 2013

रंग बिरंगी रोशनी से सजेगी दुनिया सारी
उज्जवल चंचल चकाचौंध में मगन होने की है बारी
फिर वही दीपावली दहलीज़ पर खड़ी है
वह भी जाने है , इंसानियत थोड़ी गिर पड़ी है
आतिशबाजी चूक ना जाए इसके होते हैं जतन
पर भिक्षु को एक रोटी देने में क्यूँ होता है इतना विचार और मंथन
नए कपड़े और लज़ीज़ पकवान , दोस्तों के संग शाम -ए -आलीशान
पर यह न सोचा कि यतीमघरों और वृद्धाश्रम में भी बसती है जान
दुर्गा,सरस्वती आदि को पूजते हैं सभी ,पूजना भी चाहिए
पर हे इंसान ,अपने हृदय में भी थोड़ी आत्मीयता तो लाइए
श्रद्धा या उमंग का अनादर करना मेरा मकसद नहीं
पहल करनी ज़रुरी है , फिर वो चाहे द्रष्टिकोण से ही सही
मन पावन करो , कर्म पूरा करो
इस दीपावली पर कुछ अच्छा प्रण करो
इंसान , तू अपने विचार और व्यवहार से ही जाना जाएगा
वह दिन दूर नहीं जब तुझे खुद का कर्त्तव्य समझ में आएगा
बढ़ता चल आगे, और रास्ते को ही मंजिल बना ले
एक बार पलट और देख ,तू कभी था ही नहीं अकेले .
जब विचार हों अनेक और मनुष्य थोड़ा दिशाहीन होता है
तब ऐसा ही कुछ लेखन मेरे मानस पर अंकित हो आता है
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शुभ ,स्वच्छ ,सुरक्षित और आनंदमय दीपावली आप सभी को
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