Saturday, November 22, 2014

Dusshera - 2012

न रहा अहंकार ना अहंकारी
थी उसकी मति गयी मारी
यूं तो था वो शिव का पुजारी
पर उठा ले आया वो एक अबला नारी
तो आज भी क्या अलग काल है
इन राजनीतिज्ञों के बीच हमारा भी तो वही हाल है
पर अब भगवान की गुहार बेकार है
क्यूंकि धर्म पर भी तो इन लोभियों का अधिकार है
जैसा हर युग में होता है इधर भी होगा
जब हर इन्सान पहनेगा बुद्धिमत्ता और सत्य का चोगा
अब इन कुरीतियों और भ्रश्तात्माओं का क्या काम है
जो सच की राह पर चल पड़ा वही श्री राम है

Diwali - 2013

रंग बिरंगी रोशनी से सजेगी दुनिया सारी
उज्जवल चंचल चकाचौंध में मगन होने की है बारी
फिर वही दीपावली दहलीज़ पर खड़ी है
वह भी जाने है , इंसानियत थोड़ी गिर पड़ी है
आतिशबाजी चूक ना जाए इसके होते हैं जतन
पर भिक्षु को एक रोटी देने में क्यूँ होता है इतना विचार और मंथन
नए कपड़े और लज़ीज़ पकवान , दोस्तों के संग शाम -ए -आलीशान
पर यह न सोचा कि यतीमघरों और वृद्धाश्रम में भी बसती है जान
दुर्गा,सरस्वती आदि को पूजते हैं सभी ,पूजना भी चाहिए
पर हे इंसान ,अपने हृदय में भी थोड़ी आत्मीयता तो लाइए
श्रद्धा या उमंग का अनादर करना मेरा मकसद नहीं
पहल करनी ज़रुरी है , फिर वो चाहे द्रष्टिकोण से ही सही
मन पावन करो , कर्म पूरा करो
इस दीपावली पर कुछ अच्छा प्रण करो
इंसान , तू अपने विचार और व्यवहार से ही जाना जाएगा
वह दिन दूर नहीं जब तुझे खुद का कर्त्तव्य समझ में आएगा
बढ़ता चल आगे, और रास्ते को ही मंजिल बना ले
एक बार पलट और देख ,तू कभी था ही नहीं अकेले .
जब विचार हों अनेक और मनुष्य थोड़ा दिशाहीन होता है
तब ऐसा ही कुछ लेखन मेरे मानस पर अंकित हो आता है
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शुभ ,स्वच्छ ,सुरक्षित और आनंदमय दीपावली आप सभी को
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Be happy !

Every day is beautiful
You need to see it that way
Even when life pull you down, and nobody around
You ought to get up, go out and play
It will never be a smooth journey
Has to be jittery and bumpy sometimes
It all comes to your faith in yourself
And how you make your acts profound and sublime

To the teachers

They taught me lessons apart from those in textbooks,
Corrected me when I was wrong, and when right, they applauded too,
Time passed, teachers changed, teachings prevailed, I moved ahead
But still some good character of mine will always be derived from you.

Parents are the best :)

With tonnes of love poured in it,
I eat my mom-made food,
I eat, she watches, and we smile,
It might sound okay, but the moment is more than just good.
After hard work of day long job,
My dad comes back to home with an energy,
To meet me, to have tea, and dine together,
and what goes missing is the usual lethargy.
This is my pattern during my home visits,
Sometimes frequent sometimes late,
I wish I could have these moments daily,
Without making my parents need to wait.
A supportive family makes an individual,
And makes one grow and prosper in spite all odd,
One nourishes you, the other protects you,
For me, these are the only two known GOD

Attitude of life :P

Bol 2 bolunga, 4 samajhna
Meri dosti ko hi mera pyaar samajhna
Ziddi hoon thoda, thoda adiyal bhi,
Awaara alhad zindagi mein mushgool
Main jeeta hoon apne liye
Jis din tumhein yaad kar loon us din ko tyohaar samajhna
Baatein puraani yaadon mein basi
Kuch khatti kuch meethi
Mil paaunga phir kbhi, pata nhi
Un yaadon ko hi mera deedaar samajhna
Sab kehte ye kismat ka khel hai
Kbhi pass to kbhi fail hai
Main nahin maanta kismat k thapedon ko
Mere prayatno ko hi mera prahaar samajhna
Aabhaari hoon unka jinse samvedna mili
Unka bhi jo bewajah nafrat kar baithe
Har din ek jaisa nhi rehta mere dost
Meri zindadili ko hi mera vyawahar samajhna
Meri dosti ko hi mera pyaar samajhna

(I hate my job) VS (I want a job)

जब सुबह हुई तो लगा आज क्यूँ है ऑफिस जाना ,
इतवार का दिन है,मार दूँ कोई बहाना
बॉस है निरदयी , बुलाए संडे को भी
मन करता है छोड़ दूँ यह नौकरी अभी
फिर बे-मन से गाड़ी उठाई और चला ऑफिस की ओर
खाली सड़क पर मैं अकेला , न दिखे कोई किसी भी छोर
कुलबुलाते हुए फिर रखा ऑफिस में कदम ,
इतना काम करवाता है वो , सैलरी देता इतनी कम
लंच टाइम हुआ और मैं निकला बाहर खाने ,
थोड़ी कमर सीधी करके लगा बाइक लहराने
ढ़ाबे का माहौल ही कुछ अलग था
मानो पेट-पूजा वालों का मंदिर यहीं था
चाट -पकौड़ी डोसा कुल्फी सब कुछ किया ऑर्डर ,
बचे हुए काम की अब उड़ चुकी थी सारी फ़िक्र
गयी नज़र मेरी कोने में खड़े उस बेबस लड़के पर
धूप में सिर ढांके , पसीने में तर-बतर
ऐसे माहौल में उसकी मायूसियत मुझे खलने लगी
मेरे विचारों की रेलगाड़ी सरपट चलने लगी
रहा न गया उसके पास पहुंचा मैं ,
सकपकाई नज़रें मोड़ ली उसने , कुछ थोड़ी बेचैनी में
पूछा उसका हाल तो वह ढंग से बता न पाया
दो बोल क्या बोले , उसका गला भर आया
डेढ़ साल से नौकरी की तलाश में नापी सारी सड़कें
हर पल फटकार या बंद दरवाज़ा मिले तो कोई कैसे न तड़पे
समझ न आया कि उसकी गलती क्या है
हाथ में मैरिट डिग्री , फिर भी बेरोज़गारी की व्यथा है
खाना दिया मैंने पर उसने आदर सहित मना कर दिया
"मेरा स्वाभिमान ही आत्मविश्वास है, लेकिन पूछने के लिए शुक्रिया "
ऐसी लड़ाई कितने लड़ते हैं ये लोग हर दिन,
2 वक़्त की रोटी के लिए प्रयत्न करते भिन्न-भिन्न
कृतज्ञ हूँ ईश्वर का कि मैं वाकई में सुखी हूँ
परिवार, प्रेम,यश और आत्मनिर्भरता का अनुभवी हूँ
यही मनाता हूँ कि मेरा मनोबल कभी भी गिर न जाए ,
और धूप में तपते उस लड़के को एक नौकरी मिल जाए ।

Diwali - 2014

जगमग जगमग हो सारा जहान
और खुशियों से सबका जीवन भर जाए
वादा न सही , कोशिश तो करें
आओ, इस दीवाली कुछ ऐसा कर जायें
थोड़ा देखें घड़ी की सुई पीछे घुमाकर
कि इस तेरे-मेरे ने कितने घर जलाए
फिर से इस बन्दर-बाँट में न पड़ते हुए
आओ, इस दीवाली कुछ ऐसा कर जायें
कभी देखा है चींटी को दाना ले जाते हुए
असफल, फिर भी अडिग , बिना झुंझलाए
हताशा ,निराशा को शब्दकोष से बाहर करें
आओ, इस दीवाली कुछ ऐसा कर जायें
असमर्थ को समर्थ करें हम
बिना किसी हीन भावना दिखलाए
क्यूँकि समय सदा एक सा नहीं रहता , इसलिए
आओ, इस दीवाली कुछ ऐसा कर जायें
बीते कल से सीख लेते हुए
आने वाले कल को सुन्दर बनाते जाये
पर भूलना नहीं इस क्शन्भनगुर वर्तमान को
आओ, इस दीवाली कुछ ऐसा कर जायें
जहां पूँजी हो विद्या , और अस्तित्व हो सिद्धांत
ऐसे गुणों को गृहण करते जाएँ
निश्चय , साहस और ऊर्जा से पार करें चुनौती
आओ, इस दीवाली कुछ ऐसा कर जायें
माता पिता और गुरु से ऊपर कोई स्थान नहीं
उनके विचारो और दीक्षाओं का अमृत चखते जाएँ
सत्य के अनुयायी बनें और विशवास रखें कर्म पर
आओ, इस दीवाली कुछ ऐसा कर जायें
काफी अलग-अलग बातें कही मैंने ऊपर
शायद कोई आपके दिल में घर कर जाए
सब लोग मिलकर खुशियाँ मनाएं
देखो कहीं कोई पीछे न छूट जाए
आओ, इस दीवाली कुछ ऐसा ही कर जायें