Wednesday, February 4, 2015

चाय

दोपहर  3 बजते  ही 
जब आँखें बंद होती जायें 
नज़रें ढूंढें उस भैया को 
जो  रोज़ लेकर आये  चाय 

कभी माँ के हाथ की बनी हुई 
तो कभी ढ़ाबे वाली , सोंधी खुशबू लिए 
वो दोस्तों की महफ़िल की default starter जैसे 
इस चाय ने न जाने कितने रिश्ते बनाए 

चाय एक , गुण अनेक 
और आए भी भिन्न -भिन्न स्वादों में 
काली पीली कड़क अदरकी 
एक चुस्की और ले आए तरावट खयालों में 

कुछ आदत सी बन जाती है इसकी 
अख़बार संग यह ना हो तो दिन बेकार 
कुछ लोग हिसाब नहीं रखते दिनभर का 
पानी की तरह पी जाते 10-12 बार 

Exam हो  या Deadline
सबसे भरोसेमंद दोस्त है चाय 
किसी भी समय पी सकते हैं इसे 
तो कोई कैसे इसे न अपनाये 

एक बुनियादी ज़रूरत बन चुकी है अब तक 
जैसे मकान , कपड़ा और रोटी 
पर कुछ लोग पसंद नहीं करते इसे 
शायद उनको चाय हज़म नहीं होती 

प्यार बढ़ाती है चाय 
रंग निखारती है चाय 
वो ट्रेन की खिड़की पर बैठ कर 
सफ़र सुहाना बनाती है चाय 

कॉफ़ी की बड़ी बहन है यह ,
ग़रीब हो या अमीर, सबको एक स्वाद दिलवाए 
कहीं Taj में 500/- की मिले 
तो कहीं 2 रुपये की कटिंग में काम कर जाए 
कहीं माँ की ममता का एहसास लिए हो 
तो कहीं प्रियवर का प्यार इसमें उमड़ आए 
रातभर की बकर हो , या हो ऑफिस का काम 
सारी स्फूर्ति इसी से आए 
अगर खत्म हो गयी हो आपके घर 
तो आज पड़ोसी के घर जाएँ 
और अगर नहीं पी है आज तक 
तो इसी क्षण श्री गणेश हो जाए 
मन से अपनायें , विचारों में शुद्धि लाएं 
Happiness को Hello-Hi, Sadness को Bye-Bye
इतना सोचोगे तो ठंडी हो जाएगी मेरे भाय
आओ पियें मिलकर CHAI  

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